एक अधूरी कहानी.........
रामपुर (उत्तरप्रदेश) के एक छोटे से घर की है, इस परिवार में राधे, राधे की पत्नी सुशीला और उनकी लाडली बिटिया नीतु रहती है!
नीतु अपने माँ- बाप की एकलौती संतान है। राधे एक मजदुर है! उनका बस एक ही सपना है की बिटिया को वो इतना पढाए की जो मुकाम की सिढी उनके लिए अधूरी रह गयी थी। वह उनकी बेटी पूरी करे , यही मन खयाल लिए उनकी जिन्दगी कट रही थी ।
अपनी बेटी का दाखिला अच्छे से अच्छे कॉलेजों में करवाया अपने पिता के इस इरादे को देख वो भी दिन- रात एक कर पिता के सपनों को पूरा करने में लगी रही । नीतु दिल्ली में है उसका खर्च उनके पिता हफ्ते के रविवार के दिन आकर कॉलेज के गेट के पास खड़े गॉर्ड के हाथों भिजवा दिया करते है और खिड़की से ही अपने बिटिया की चेहरे को देख सुकून की सांस लेते हुए घर की तरफ चल पड़ते है !
समय बीतता गया वही जाड़ा वही गर्मी वही बरसात पता ही नहीं चल रहा था की उसके अलावे भी उनके जिंदगी में कुछ करने को है या नहीं , रहने के लिए एक मरैया है वो भी टूटी -फूटी किसी तरह सर झक जाय वही काफी है !
समय बीतता गया वही जाड़ा वही गर्मी वही बरसात पता ही नहीं चल रहा था की उसके अलावे भी उनके जिंदगी में कुछ करने को है या नहीं , रहने के लिए एक मरैया है वो भी टूटी -फूटी किसी तरह सर झक जाय वही काफी है !
गाँव वाले तो अब ताना भी देने लग गए की बिटिया है कोई बेटा नहीं कितनो उसे पढ़ा देगा वो अफसर नहीं बन पायेगी, अगर बन भी गयी तो क्या तेरे पास रहेगी अपने ससुराल को देखेगी न की तुझे !
अब तो राधे की पत्नी भी उससे यह बात कहने लगी की बिटिया की शादी कोई अच्छा घर परिवार देख कर कर दीजिये जी जमाना बहुत ख़राब है कहीं कुछ ऊँच- नीच हो जाएगी तो किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रह जायेंगे !
लेकिन राधे को किसी की बात से फर्क नही पड़ने बाला क्योंकि उसे उसकी बिटिया पर पूरा भरोसा है, की भले देर होगी अफसर तो बन कर ही लौटेगी ! वह अपनी बिटिया में खुद को देखता है उसे लगता है की वह खुद पढ़ रहा है।
राधे गरीब था लेकिन दिल से वह बहुत अमिर था !
नीतु को उसके कॉलेज के ही एक अमीर घराने के लड़के से प्यार हो जाता है वह इस कदर भूल जाती है की आज रविवार है और उसके पिता उससे मिलने कॉलेज आएं हुए हैं! राधे इंतजार करता रहा सूरज पूरब से पश्चिम हो चुका था लेकिन नीतु का कोई पता नहीं था, देर होते देख पैसे गार्ड के हाथों में देकर राधे गावं की ओर लौट जाता है, राधे बहुत बेचैन था उसकी पत्नी के पूछने के बाबजूद राधे अपनी पत्नी से कुछ कह नहीं सका, रात इतनी लंबी हो गई की आज सो नही पा रहा था, उसके मन में तरह-तरह के विचार आ रहे थे!
उधर नीतु जब कॉलेज पहुंची तो गार्ड ने बताया की उसके पिता खर्च के पैसे देकर गए हैं और वो काफी देर तक इंतजार भी किया है!
नीतु अपने आप में असहज महसूस कर रही थी की आखिर आज वो अपने पिता से नहीं मिल पाई उसने सोचा की जो भी बात हैं वह अपने पिता से मिलकर सब सच बता देगी !
राधे अन्दर से टूट रहा था उसे गाँव के लोगों की कही बातें जोर-जोर से उसके कानों में बज रही थी किसी भी काम को करने में राधे का मन नहीं लग रहा था वह इस बात से परेशान हो रहा था की उसका सपना कहीं सपना ही न रह जाए!
राधे के कपड़े फटने पड़ इतने बार सिले गए की अब उसमे सिलने की जगह नहीं बची थी ! राधे हर बार की तरह इस बार भी रविवार के दिन खर्च के पैसे देने के लिए कॉलेज गया, गार्ड और राधे के बिच कुछ बातें हुई , राधे बातें सुन अचानक जमींन पड़ गिर पड़ा उसके पैसे उसके हाथों से छुट कर भिखर गए . आखिर गार्ड ने राधे से कौन सी बात कही .... क्या नीतु कॉलेज में नहीं थी....क्या नीतु अफसर बन चुकी थी ...क्या कुछ अनहोनी तो नहीं हो गयी ................पार्ट 2
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