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जैव-विकास (Evolution)
वर्त्तमान में सभी जीव-जन्तुओं का उद्भव पूर्व-उपस्थित अनेक जीव जंतुओं से हुआ है। प्राचीन जीव सरल थे तथा कई पीढ़ियों तक इनमें आनुवांशिक परिवर्त्तन हुए जिसके फलस्वरूप वर्त्तमान जीव-जन्तुओं का उपज हुआ।
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जीवन की उत्पत्ति के सिद्धांत
स्वतः जनन का सिद्धांत : इस सिद्धांत के अनुसार अधिकांश जीव जतुओं की उत्पत्ति स्वतः निर्जीव पदार्थो से हुई थी। रेडी एवं लुई पाश्चर के प्रयोगों ने इस सिद्धांत को ध्वस्त कर दिया।
जीवन का रसोसंश्लेषित उदभव का सिद्धांतः रूसी जीव रसायन वैज्ञानिक ए. आई. ओपैरिन के अनुसार जीवन का उद्गम रासायनिक विकास का अंतिम परिणाम है। उनके अनुसार पृथ्वी के प्रारंभिक वातावरण में मीथेन, अमोनिया, वाष्प और मुक्त हाइड्रोजन थी। इन अणुओं के आपसी में मिलने से वसा, शर्करा, अमीनों अम्ल आदि जैव अणुओं का निर्माण हुआ।
यूरे एवं मिलर के प्रयोगों ओपैरिन के सिद्धांत की पुष्टि की है।
क्रमविकास के प्रमाण :
इस बात के कई प्रमाण हैं कि पृथ्वी पर क्रमविकास हुआ है
1. वर्गीकरण
2. आकृतिक प्रमाण
3. योजक कडी
4. अवशेषी अंग
5. भ्रूण विज्ञान
6. जीवाश्म विज्ञान
7. भौगोलिक वितरण
8. शरीर क्रिया से प्राप्त प्रमाण
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