भारतीय प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम
भारतीय मिसाइल कार्यक्रम की शुरूआत 1983 में डा. ए. पी. जे अब्दुल कलाम द्वारा की गई। समेकित निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम (IGMDP) के अंतर्गत अग्नि, पृथ्वी, आकाश, त्रिशूल और नाग नामक पाँच प्रक्षेपास्त्र विकसित किए गये।
1. अग्नि
→ यह भूमि से भूमि पर मध्यम दूरी तक मार करने वाला बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है।
→ इस श्रेणी में तीन प्रक्षेपास्त्र है- अग्नि - I (मारक क्षमता : 700 कि मी.), अग्नि - II (मारक क्षमता: 2000 कि मी.), और अग्नि - III (मारक क्षमता : 3500 कि मी.) अग्नि VI (मारक क्षमता 6000-1200 किमी, अंतर महाद्वीपीय श्रेणी) । के IV (मारक क्षमता 4000 किमी), अग्नि V (मारक क्षमता 5000-8000 किमी) तथा अग्नि
● यह परमाणु एवं परंपरागत दोनों प्रकार विस्फोटकों को ले जा सकता है।
2. पृथ्वी
→ यह जमीन से जमीन पर मार करने वाला कम दूरी का बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है।
पृथ्वी के तीन संस्करण हैं
1. पृथ्वी I यह थल सेना का संस्करण है। इसका मारक क्षमता 1000 किग्रा. आयुद्ध के साथ 150 किमी है।
ii. पृथ्वी II यह वायु सेना का संस्करण है
इसकी मारक क्षमता 500-1000 किग्रा. के साथ 250 किमी है।
iii. पृथ्वी - III यह नौ सेना हेतु संस्करण है।
इसकी विस्फोट वहन क्षमता 1000 किग्रा. तथा मारक क्षमता 350 किमी है।
→ इसका प्रथम परीक्षण 25 फरवरी 1988 को चांदीपुर अंतरिम परीक्षण केन्द्र से किया गया था।
3. आकाश
→ यह मध्य दूरी का हवा से हवा में मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है, जो एक साथ पाँच विमान या मिसाइल को निशाना बना सकता है।
इसकी मारक क्षमता 25 कि.मी. है।
● इसके प्रणोदक में रामजेट सिद्धांत का प्रयोग किया गया है।
4. त्रिशूल → यह निम्नस्तरीय त्वरित क्रिया से युक्त भूमि से हवा में मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है।
• इसकी मारक क्षमता 500 मी से 9 किमी तक है। 1 वर्तमान में त्रिशूल मिसाइल प्रोजेक्ट को बंद कर दिया गया है।
→ त्रिशूल मिसाइल का स्थान लेने के लिए मैत्री मिसाइल का निर्माण आरंभ किया गया है।
5. नाग
→ यह टैंक भेदी संचालित प्रक्षेपास्त्र- (दागों और भूलो (फायर एंड फारगेट) ) है।
● इसकी मारक क्षमता 4 किमी है। → इसमें फोकल प्लेन रे तकनीक का प्रयोग किया गया है।
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